5 Simple Statements About Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana Explained
इसे repeat करते हुए नया भाव जोड़ें – “मैं सुरक्षित हूं”
अपने डर को शब्द दो, उसे समझो और स्वीकार करो। खुद से ये सवाल करें:
जबकि परिस्थितियां इतनी मुश्किल होती नहीं हैं जितना उन्हें लगने लगता है. अब जैसे ऊपर वाला उदहारण ही लेते हैं.
किसी भी स्थिति में “फ्रीज़” हो जाते हैं
अक्सर देखा जाता है की कई बार शरीर से बलिष्ठ लोग भी डरपोक होते हैं. जबकि हकीक़त में दुसरे लोग उसके शरीर को देख देख कर अन्दर से उनसे डर रहे होते हैं.
उसने तो सदा बस उलटे सीधे ही काम किये हैं. इस प्रकार की सोच उसके मष्तिष्क में एक तरह का भय पैदा करती है की अब आगे जब कोई संकट आएगा तो भगवान् भी मेरी मदद नहीं करेंगे. धीरे धीरे ये डर गहरा होता चला जाता है.
यहाँ हमारे कहने का मतलब ये नहीं है की आप शेर के सामने जाकर खड़े हो जाइए. हम ये कहना चाहते हैं की जिस तरह की परिस्थितयों से आपको डर लगता है, जहाँ जाने से आपको डर लगता है, जो काम करने से आपको डर लगता है, जिसके सामने जाने से आपको डर लगता है,वहां जाना शुरू कीजिये.
कुछ अनिश्चित होने की कल्पना (यानी जो हुआ ही नहीं या जो पहले हो चुका है) उसे दोबारा होते देखना यह बिल्कुल ऐसा प्रतीत होगा है जैसे – आपका शरीर और दिमाग आपसे बात कर रहे हैं। इससे पहले कि आप डर को खत्म करने के बारे में सोचें, सबसे पहले आपको समझना होगा डर एक सामान्य प्रतिक्रिया हैं जब आप इसके संकेतों को समझने लगते हैं तो डर को दूर करना सांस लेने और छोड़ने जैसा समान्य लगने लगेगा। चाहे डर कितना भयानक क्यों ना!
किसी डर से दूर भागने से आपके उस डर के बारे में महसूस करने के तरीके को सुधारने में कभी मदद नहीं click here मिलेगी। अगली बार जब आप किसी डर का सामना करें, तो उस डर के साथ मौखिक रूप से या शब्दों के साथ जुड़ें, ऐसे शब्दों का उपयोग करें जो आपके डर और चिंताओं का वर्णन कर सकें।
जब भी नकारात्मक विचार आए, तुरंत उसे सकारात्मक विचारों से बदलें। उदाहरण: “मैं नहीं कर सकता” को “मैं कोशिश करूंगा” से बदलें।
डर से लड़ने के लिए मानसिक शक्ति कैसे बढ़ाएं
ऐसे लोगों में नकारात्मक विचार ज्यादा आते हैं और उन्हें लगने लगता है की उनका साथ देने वाला कोई नहीं है.
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वहां उसके साथ कुछ ऐसी बातें हो जाती हैं, या ऐसे काम हो जाते हैं या उसके आस पास ऐसे वाकये हो जाते हैं जिससे धीरे धीरे उसका डर बढ़ता चला जाता है.